विश्व की कौन सी झील तैरती हुई झील है
विश्व की सबसे
बड़ी तैरती झील
लोकटक झील है,
जो भारत के
उत्तर-पूर्वी राज्य
मणिपुर में स्थित
है। यह झील
अपने तैरते द्वीपों
के लिए प्रसिद्ध
है, जिन्हें फुमदीस
कहा जाता है।
फुमदी मिट्टी, वनस्पति
और कार्बनिक पदार्थों
से बनी होती
हैं और झील
के पानी में
तैरती हैं।
लोकतक झील भारत
की सबसे बड़ी
ताजे पानी की
झील है और
इसका क्षेत्रफल लगभग
280 वर्ग किलोमीटर है। यह
झील मणिपुर की
राजधानी इम्फाल से लगभग
53 किलोमीटर दूर स्थित
है।
लोकटक झील एक
महत्वपूर्ण जैव विविधता
का घर है।
इसमें जलीय पौधों
की 233 प्रजातियाँ, पक्षियों की
100 से अधिक प्रजातियाँ
और जानवरों की
425 प्रजातियाँ पाई जाती
हैं। इनमें संगाई
हिरण भी शामिल
है, जो एक
दुर्लभ प्रजाति है।
लोकटक झील का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। यह झील 10,000 साल से भी ज्यादा पुरानी मानी जाती है। लोकटक झील का सबसे पहला उल्लेख 16वीं शताब्दी के स्थानीय इतिहास में मिलता है। इतिहास में इस झील को "लोकताल" के नाम से जाना जाता है।
लोकटक झील का
सबसे बड़ा तैरता
हुआ द्वीप "केइबुल
लामजाओ" है। यह
द्वीप लगभग 40 वर्ग
किलोमीटर क्षेत्र में फैला
हुआ है। केइबुल
लामजाओ द्वीप एक महत्वपूर्ण
जैव विविधता का
घर है। इसमें
संगाई हिरण भी
शामिल है, जो
एक दुर्लभ प्रजाति
है।
लोकतक झील मणिपुर
की एक महत्वपूर्ण
सांस्कृतिक और धार्मिक
विरासत भी है।
मणिपुरी लोग लोकतक
झील को पवित्र
मानते हैं। झील
के किनारे कई
धार्मिक स्थल हैं,
जिनमें शिव मंदिर,
दुर्गा मंदिर और विष्णु
मंदिर शामिल हैं।
लोकटक झील मणिपुर
की अर्थव्यवस्था में
भी महत्वपूर्ण भूमिका
निभाती है। लोग
झील से मछली
पकड़ने, नौकायन और पर्यटन
से आय अर्जित
करते हैं।
लोकतक झील की
कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ
इस प्रकार हैं:
लोकटक झील मणिपुर
की एक अनूठी
प्राकृतिक विरासत है। यह
झील अपनी सुंदरता,
जैव विविधता और
सांस्कृतिक महत्व के लिए
दुनिया भर में
प्रसिद्ध है।
लोकटक झील का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। यह झील 10,000 साल से भी ज्यादा पुरानी मानी जाती है। लोकटक झील का सबसे पहला उल्लेख 16वीं शताब्दी के स्थानीय इतिहास में मिलता है। इतिहास में इस झील को "लोकताल" के नाम से जाना जाता है।
- 16वीं शताब्दी: मणिपुर के
स्थानीय इतिहास में लोकटक
झील का उल्लेख
"लोकताल" के रूप
में किया गया
है।
- 19वीं सदी: लोकतक
झील का सर्वेक्षण
किया गया और
इसके तैरते द्वीपों
की खोज की
गई।
- 1947: भारत
के विभाजन के
बाद लोकटक झील
भारत का हिस्सा
बन गयी।
- 1990: रामसर
कन्वेंशन के तहत
लोकटक झील को
अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि
के रूप में
नामित किया गया
था।
- 1997: केइबुल
लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान की
स्थापना की गई।
- 2010: लोकटक
झील को यूनेस्को
विश्व धरोहर स्थल
के रूप में
नामित किया गया।
लोकटक झील मणिपुर
की राजधानी इंफाल
से लगभग 53 किलोमीटर
दूर स्थित है।
लोकटक झील तक
पहुँचने के रास्ते
निम्नलिखित हैं:
हवाई मार्ग से: इम्फाल
में इम्फाल हवाई
अड्डा है, जो
लोकतक झील से
लगभग 40 किलोमीटर दूर है।
हवाई अड्डे से
टैक्सी या बस
द्वारा लोकटक झील तक
पहुंचा जा सकता
है।
रेल मार्ग द्वारा: इंफाल रेलवे स्टेशन लोकटक झील से लगभग 45 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस द्वारा लोकतक झील पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग द्वारा: लोकतक झील के लिए नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं। इंफाल, मोइरांग और अन्य प्रमुख शहरों से लोकतक झील के लिए बसें चलती हैं।
लोकटक झील तक
पहुंचने का सबसे
अच्छा समय अक्टूबर
से मार्च के
बीच है। इस
समय मौसम सुहाना
है और झील
में पानी का
स्तर ऊंचा है।
लोकतक झील पहुंचने
के बाद आप
यहां निम्नलिखित गतिविधियों
का आनंद ले
सकते हैं
रेल मार्ग द्वारा: इंफाल रेलवे स्टेशन लोकटक झील से लगभग 45 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस द्वारा लोकतक झील पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग द्वारा: लोकतक झील के लिए नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं। इंफाल, मोइरांग और अन्य प्रमुख शहरों से लोकतक झील के लिए बसें चलती हैं।
टूर बोट से झील की सैर करें: लोकटक झील की सैर के लिए टूर बोट उपलब्ध हैं। टूर बोट से आप झील के तैरते द्वीपों, झील के किनारे के जंगलों और झील में रहने वाले जीवों को देख सकते हैं।
केइबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा: केइबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान लोकतक झील के तट पर स्थित है। इस राष्ट्रीय उद्यान में आप संगाई हिरण और अन्य जंगली जानवरों को देख सकते हैं।
स्थानीय बाजारों में खरीदारी करें: लोकतक झील के पास कई स्थानीय बाजार हैं, जहां आप मणिपुरी हस्तशिल्प और अन्य स्थानीय उत्पाद खरीद सकते हैं।
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